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Hindi Kahani for kids , बच्चों के लिए हिंदी में कहानियां

बहुत ही अच्छी और रोमांचक कहानियां आपको जो कहानियां चाहिए थी वह यही है केवल आपके लिए यह कहानियां आप इसे अपने बच्चों को भी सुना सकते हैं।


आप को यही कहानियां क्यों पढ़नी चाहिए ?

1. यह कहानियां मुख्य रूप से बच्चों के लिए लिखी गई है।
2. बच्चों के लिए कहानियां काफी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि बच्चे कहानियां सुनकर कल्पना करते हैं जो उनके बुद्धि को अधिक बढ़ाती है।
3. कहानियां हमें कई चीजें सिखाती है बच्चों के लिए यही सही उम्र होती है जिसमें बच्चों को नैतिक बातें और अच्छी बातें सिखानी चाहिए।
4. पहले के समय में दादा-दादा नाना-नानी से बच्चे कहानी सुनते थे पर आज इंटरनेट इसका मुख्य माध्यम हैं।
5. कहानियां सरल भाषा में लिखी गई है ताकि बच्चे इन्हें आसानी से समझ सके।


दो बंदर बिल्ली की हानी

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में दो बंदर रहते थे जो बहुत ही अच्छे दोस्त थे वह दोनों हमेशा साथ साथ ही रहते खाते और साथ ही सोते थे दोनों की दोस्ती बहुत पक्की थी एक दिन जब दोनों घूम रहे थे तो उन्होंने दही देखा और उसे खाने के लिए ले लिया फिर दही को खाने के लिए दोनों झगड़ने लगे पहले ने कहा “इस दही को पहले मैं खाऊंगा क्योंकि इसे पहले मैंने देखा है” तभी दूसरे ने कहा “ हां, पर उठाया तो पहले मैंने ना ” इस प्रकार दोनों में लड़ाई होने लगी तब दोनों ने मिलकर फैसला किया कि वह इसे आपस में बांट लेंगे पहले बंदर ने जब दही को बराबर बांटा तो दूसरा बंदर कहने लगा कि तुमने ज्यादा दही लेकर मुझे कम दिया है और फिर जब दूसरे बंदर ने दही को बांटा तो पहला बंदर कहने लगा तुमने इसे बराबर नहीं बांटा और अपने हिस्से में ज्यादा दही ले ली है इस प्रकार दोनों में लड़ाई होने लगी दही का बंटवारा भी नहीं हो पाया और समस्या भी काफी बढ़ गई।


तभी वहां से चलाक बिल्ली गुजर रही थी उसने बंदरों के हाथ में दही देखकर मन में सोचा “अगर यह स्वादिष्ट दही मुझे मिल जाए तो कितना अच्छा होगा।” यह सोचकर उसने बंदरों से पूछा बंदर भाई बंदर भाई क्या हुआ? तुम लोग आपस में क्यों लड़ रहे हो तब बंदरों ने कहा बिल्ली बहन, हमें आपस में इस दही को बराबर बांटना हैं पर कोई भी सही से नहीं बांट रहा और हमें दही भी खाना है अब तुम ही बताओ हम क्या करें। तभी बिल्ली ने मन में कुछ सोच कर कहा एक काम करती हूं इसे मैं ही बांट देती हूं फिर दोनों अपने अपने हिस्से का दही खा लेना बिल्ली की बात सुनकर दोनों बंदर काफी खुश हुए और बिल्ली की बात मान गए बिल्ली ने चलाकी से एक तराजू ले आया जब उसने दोनों बंदर के लिए दही को बाटा तो एक तरफ दही थोड़ा अधिक हो गया अब यह भी समस्या हो गई कि एक तरफ दही ज्यादा हो गई तभी बिल्ली ने कहा “एक काम करती हू मैं इस तरफ की दही को थोड़ा सा खा लेती हूं बिल्ली की बात सुनकर दोनों बंदर भी मान गए और उसने जैसे ही एक तरफ की दही को खाया तो दूसरी तरफ का दही नीचे हो गया तब फिर समस्या हो गई तब फिर बिल्ली ने कहा एक काम करती हूं मैं इस तरह का भी थोड़ा सा दही खा लेती हूं ताकि दोनों तरफ बराबर हो जाए।


बिल्ली ने जैसे ही दूसरी तरफ का दही खाया पहली तरफ फिर नीचे हो गया और बिल्ली ने फिर वही सुझाव दिया इस प्रकार थोड़ी ही देर में थोड़ा ही दही बाकी था फिर भी दही बराबर नहीं बट पायी थी तराजू जिस तरफ झुका था उस तरफ की दही को बिल्ली ने खाया तो वह पूरी तरहा खत्म हो गई और दूसरी तरफ का तराजू नीचे आ गया फिर बिल्ली ने बंदरों से कहा “ अगर पहले बंदर को दही नहीं मिलेगी तो दूसरे बंदर को भी तो देना गलत है ना , यह पहले बंदर के साथ नाइंसाफी है इसलिए इसे भी मैं ही खा लेती हूं। ” फिर चलाक बिल्ली ने दोनों बंदरों से कहा कि अब तो पूरी दही खत्म हो चुकी है तो मैं चलती हूं हां वैसे दही बहुत ही स्वादिष्ट थी धन्यवाद और यह कह कर बिल्ली तुरंत चले गई जब तक बंदरों को कुछ समझ आता तब तक उनका पोपट हो चुका था और दोनों दुखी हो गए फिर तब उन्हें समझ में आया कि दो लोगों की लड़ाई में कोई तीसरा आनंद ले गया तब से उन दोनों ने फैसला किया कि वह आपस में कभी नहीं लड़ेंगे और इस तरह फिर वह हर चीज को मिल बांट कर खाने लगे इस तरह कहानी खत्म होती है।
धन्यवाद।



सिंड्रेला की कहानी

बहुत समय पहले एक राज्य में सिंड्रेला नाम की एक लड़की रहती थी जो बहुत गरीब और बेसहाय थी उसके माता-पिता बचपन में ही मर गए थे जिस कारण उसे अपने आंटी के यहां रहना पड़ता था जो बहुत ही बुरी थी वह सिंड्रेला को बहुत परेशान करती थी और उससे बहुता काम करवाती थी उसकी भी तीन बेटीयां थी पर वह उन्हें बहुत अच्छे से रखती थी पर सिंड्रेला को कुछ नहीं देती थी उनकी तीन बेटियां भी सिंड्रेला को बहुत परेशान करती थी। एक दिन वहां के राजा ने ऐलान किया कि मेरे बेटे राजकुमार के लिए राज्य के राजमहल में एक बड़ा आयोजन मनाया जाएगा और उसमें सभी को आना पड़ेगा पूरे राज्य में यह खबर फैल गयी सभी राजकुमार के पास जाना चाहते थे। जब आयोजन का दिन आया तो सभी तैयार होने लगे सिंड्रेला ने सोचा “ काश मैं भी जा पाती ” यह सोचकर वो तैयार होने लगी जब वो तैयार होने लगी तब उसने देखा उसके पास कोई अच्छे कपड़े ही नहीं है। सारे कपड़े फटे व पुराने हैं यह देख कर बहुत दुखी है फिर भी वह तैयार होने लगी जब उसकी तीनों बहनों ने यह सब देखा तो वह सब भी उस पर हंसने लगी और उसका मजाक उड़ाने लगी जब आंटी को यह बात पता चली तो उसने सिंड्रेला को खूब डांटा और उससे कहा तुझे वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है वहां सिर्फ मेरी बेटीयां ही जाएंगी तुम घर पर ही रह कर घर का काम करो। और सिंड्रेला काफी दुखी होकर रोने लगी।


जब सभी राज महल को चले गए तो सिंड्रेला रो रही थी तभी उसके घर के पास से एक जादूगरनी गुजर रही थी उसने किसी की रोने की आवाज सुनकर वहां रुक गई। उसने खिड़की से झांक कर देखा तो सिंड्रेला रो रही थी उसे देख कर जादूगरनी को उस पर दया आ गई उसने अंदर जाकर सिंड्रेला से पूछा तुम क्यों रो रही हो आज तो राज महल में आयोजन है तुम वहां क्यों नहीं गई। तब सिंड्रेला ने जवाब दिया ”मुझे वहां जाना है पर मेरे पास अच्छे कपड़े नहीं है और मेरी आंटी ने मुझे वहां जाने से मना किया है इसलिए मैं दुखी हूं।” जादूगरनी ने उससे कहा ठीक है एक काम करो मैं अपने जादू से तुम्हें अच्छे कपड़े देती हूं और उसने वहीं पास में रखें तरबूज को घोड़ा गाड़ी बना दिया और उसके साथ घोड़े भी आ गए और वह गाड़ी पूरी जादू से चलती थी जादूगरनी के दिए गए अच्छे जादू के कपड़े को पहनकर सिंड्रेला पूरी परी जैसे दिख रही थी वह बहुत खुश है और जाने के लिए घोड़े गाड़ी में बैठ गए पर जादूगरनी ने एक बात कही थी आज रात 12:00 बजे यह पूरा जादू खत्म हो जाएगा तो तुम्हारे पास इतना ही समय है उसके बाद सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा सिंड्रेला ने कहा ठीक है।


जब सिंड्रेला पार्टी में पहुंची तो सब उसे देख कर चौक का वह बहुत ही खूबसूरत और कहीं की राजकुमारी लग रही थी और कोई उसे पहचान नहीं पा रहा था राजा उसे देखकर बहुत खुश हूं और सिंड्रेला को देखकर राजकुमार को उससे प्यार हो गया उसने मुझसे कहा मैंने तुम्हें यहां पहले कभी नहीं देखा था तुम कहां से हो तब सिंड्रेला ने कहा मैं यहां आज पहली बार आया हूं राजकुमार और सिंड्रेला साथ में डांस करने लगे दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था डांस करते करते सिंड्रेला की नजर घड़ी पर पड़ी 12:00 बजने में सिर्फ 5 मिनट बाकी थे उसने तुरंत वहां से जाना चाहा राजकुमार ने उसे रोकने की कोशिश की पर वह वहां से तुरंत निकाल गयी राजकुमार मैं उससे उसकी जानकारी कुछ नहीं चाहिए और सिंड्रेला जल्दी ही भाग गई और 12:00 बजते ही सारा जादू खत्म हो गया। सिंड्रेला वापस आ गए और उसकी जीवन पहले जैसा हो गया।


राजकुमार ने अपने सैनिकों से उस लड़की को लाने को कहा पर उसे कोई नहीं जानता था तभी किसी को वहां एक जूती मिली सिंड्रेला जा भाग रही थी तब गलती से उसके एक पैर का सू वहीं गिर गया था जब सभी को यह पता चला तो राज्य में एलान करवा दिया गया की उस लड़की को खोजने के लिए राज्य के सभी लड़कियों को इस जूते में पैर रखना होगा और जिसका भी पैर सही से इस जूते में आ गया वही वह लड़की होगी सैनिकों ने हर घर में हर लड़कियों से उस जूती में पैर रखने को कहा पर वह जादुई जूता था जिस कारण उसमें किसी का पैर नही आ रहा था। जब सैनिक सिंड्रेला के घर के पास आया तो आंटी की बेटियों ने भी कोशिश की पर कुछ ना हुआ सैनिकों ने पूछा “आपके यहां कोई और है क्या ?” आंटी ने कहा है पर वह वो लड़की नहीं हो सकती और वह तो उस दिन राज महल में भी नहीं आयी थी फिर भी सैनिकों ने उसे बुलाया जब सिंड्रेला ने एक पैर डाला तो वह पूरा उस जूती में फिट हो गया सभी देख कर चौक गए और जब राजकुमार का पता चला तो उसने तुरंत उसे राज महल बुलाया और जब पता लगाया गया तो सभी को पता लगा की वह लड़की सिंड्रेला ही थी इस प्रकार सिंड्रेला वहां की राजकुमारी बन गई और राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई और वह हमेशा खुशी-खुशी रहने लगे और की उसके आंटी को बहुत पछतावा हुआ। बस कहानी यहीं खत्म होती है।

धन्यवाद।

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