बूढ़ा गिध्द की कहानी
बूढ़े गिद्ध को बहुत अच्छा लगता था। वह मन ही मन सोचता - यह पक्षी कितने दयालु हैं। अतः जब वे अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में जाया करेंगे, तो मैं पीछे से इनके बच्चों की रक्षा किया करूंगा। उस दिन के बाद से गिद्ध ने उनके बच्चों की रक्षा करनी शुरू कर दी। सभी मिलकर हंसी - खुशी रहने लगे।
एक दिन एक बिल्ली वहां से गुजरी । उसने उस पेड़ पर नन्हे पक्षियों के चहचहाने की आवाजें सुनी । उसने सोचा कि उसे यहां कुछ छोटे व ताजा पक्षियों के बच्चे खाने को मिल सकते हैं। उसे देखकर पक्षियों के नन्हे बच्चे डर के मारे जोर - जोर से चिल्लाने लगे। बूढ़ा गिध्द चिल्लाया," कौन है ?"
बिल्ली ने सोचा कि यहां थोड़ी युक्ति से काम लेना पड़ेगा। वह बोली,' सुप्रभात श्रीमान! मैं बिल्ली हूं ।" बूढ़ा गिध्द बोला," यहां से चली जाओ, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।"
बिल्ली बहुत चलाक थी। वह बोली, "श्रीमान, मैं कुछ कहना चाहती हूं। उसे सुन ले। फिर उसके बाद चाहे तो आप मुझे खा लेना।"
गिद्ध ने सोचा, क्यों ना उसकी बात सुन ली जाए। बिल्ली बोली "मैं यमुना नदी के तट पर रहती हूं। मैं बहुत धार्मिक विचार रखती हूं। मैं यमुना नदी में स्नान करके आपका आशीर्वाद लेने आई हूं।"
गिद्ध बोला," मैं तुम पर कैसे विश्वास करूं ? तुम मांस खाने वाली प्राणी हों और यहां नन्हे - नन्हे पक्षी रहते हैं। जाओ, भाग जाओ यहां से ।"
बिल्ली ने उत्तर दिया - श्रीमान, मेरा विश्वास कीजिए। मैंने जानवरों का मांस खाना छोड़ दिया है ।यहां यमुना नदी के किनारे चारों और हरियाली है और ढेर सारी वनस्पति है। मैं केवल हरी सब्जियां और फल खाकर ही अपना पेट भरती हूं।'
बूढ़ा गिध्द उसकी बातों में आ गया। उसने उस पर दया खाकर वहां रहने की इजाजत दे दी। उस दिन तो सब कुछ सही सलामत चलता रहा किंतु बिल्ली अपने ऊपर काबू नहीं रख सकी । अतःउसने प्रतिदिन एक के बाद एक करके नन्हे पक्षियों को खाना शुरु कर दिया । बूढ़ा गिद्ध को इसका पता नहीं चला ।
बहुत जल्दी पक्षियों ने देखा कि उनके नन्हे बच्चों की संख्या कम होती जा रही है उन्हें चिंता सताने लगी तथा वे उन्हें यहां - वहां ढूंढने लगे। चालाक बिल्ली ने इस स्थिति को भाप लिया और सोचा कि वह पकड़ी जा सकती है। अतः वह वहां से भाग निकली ।
अपने बच्चों को ढूंढते हुए जब पक्षी, बूढ़े गिध्द के खोल के पास पहुंचे, तो उन्होंने वहां अपने बच्चों की हड्डियां पड़ी हुई देखी ।उन्होंने सोचा, इस बूढ़े गिध्द ने ही हमारे बच्चों को मारा है। अतः वे गुस्से से भर गए और उन सबने मिल कर बूढ़े गिध्द को मार डाला। बेचारे मासूम गिध्द को अनजान बिल्ली पर विश्वास करके अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा ।
शिक्षा :- कभी भी किसी अनजान पर हमें भरोसा नहीं करना चाहिए।
नादान गधा
किसी गांव में एक धोबी रहता था। उसने घर की रखवाली के लिए एक कुत्ता और रोज के काम के लिए गधा रखा हुआ था । वह गधे की पीठ पर काफी बोझ लादा करता।
एक रात धोबी घर में चैन की नींद सो रहा था, तभी एक चोर आ पहुंचा। धोबी का गधा और कुत्ता आंगन में बंधे थे, उन्होंने चोर को अंदर आते देखा, पर कुत्ते ने मालिक को चौकन्ना नहीं किया। गधे ने उससे कहा - "मित्र! यह तुम्हारा फर्ज बनता है कि तुम मालिक को चोर के आने की खबर दो । तुम उसे उठाते क्यों नहीं ?"
"कुत्ते ने चढ़कर कहा - "तुम परवाह मत करो। पता है, मैं दिन-रात घर की पहरेदारी करता हूं, पर मालिक के साथ ऐसा ही सलूक करना चाहिए। अच्छा है, चोरी होने दो, उसे नुकसान होगा, तब मेरी कद्र पता चलेगी।"
गधा कुत्ते की बात से सहमत नहीं था। उसने उसे समझाने की कोशिश की - "सुनो दोस्त, नौकर को इस तरह शर्ते लगा कर, अपने काम को अनदेखा नहीं करना चाहिए, मालिक को इस समय तुम्हारी जरूरत है।" पर अड़ियल कुत्ते पर कोई असर नहीं हुआ। वह उसकी सलाह को अनसुना कर बोला - "तुम कृपया मुझे पाठ मत पढ़ाओ। तुम्हें नहीं लगता कि मालिक को भी अपने नौकर की देखभाल व कद्र करनी चाहिए।"
गधा काफी परेशान था। वह दोबारा कुत्ते से बहस करने नहीं गया। हालांकि उसे लगा कि इस समय उसे मालिक की मदद करनी चाहिए। उसने कुत्ते से कहा - " मूर्ख जानवर! अगर तू मालिक को नहीं उठा रहे, मुझे ही कुछ करना होगा।"
गधे ने पूरी तेजी से रेंकना शुरु कर दिया। धोबी गहरी नींद से जाग गया और हाथ में छड़ी लेकर बाहर निकला। जब उसने देखा कि कुत्ता चुपचाप बैठा है और गधा जोर-जोर से रेंक रहा है, तो उसे लगा कि गधे ने उसकी नींद में खलल डालने के लिए ऐसा किया है। वह अपना आपा खो बैठा और गधे को बड़ी बेरहमी से पीटने लगा। बेचारे गधे ने वहीं दम तोड़ दिया।
शिक्षा:- अपना काम करो और बिना मांगे सलाह मत दो ।
दूसरी कहानी :- किसान की कहानी
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