विट्ठल स्वामी मंदिर पर उत्तम लेख हिंदी में
निर्माण कर्ता - देवराय द्वितीय व कृष्णदेव राय
वंश - संगम वंश , तलुव वंश
साम्राज्य - विजयनगर साम्राज्य
स्थान - हम्पी बाजार से 2 कि. मी. दुर , हम्पी , कर्नाटक
वर्ष - प्रथम निर्माण 1422 - 1446 ईस्वी द्वितीय निर्माण 1506 - 1529 ईस्वी
वास्तुकला - दक्षिण भारत द्रविड़ स्थापत्य शैली
शैली - विजयनगर शैली
भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित विट्ठल स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है इसे विश्व विरासत स्थल की सूची में भी शामिल किया गया है अपनी अद्भुत वास्तुकला , गोपुरम , पत्थर के विशाल रथ और सारेगामा स्तंभों के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर पत्थरों से निर्मित है और मूल दक्षिण भारतीय द्रविड़ स्थापत्य कला का प्रतिनिधित्व करती है। तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित खूबसूरत , जटिल नक्काशियां और वास्तुकला युक्त इस मंदिर को कृष्ण देव राय के द्वारा ही इसका वर्तमान रूप प्रदान किया गया । इस मंदिर का प्रथम निर्माण संगम वंश के राजा देवराय द्वितीय ने 1422 ईस्वी से 1446 ईस्वी तक कराया और बाद में कुछ हिस्सों का निर्माण कृष्णदेव राय ने 1509 से 1529 ईस्वी तक कराया ।
आपने वर्तमान पचास का नोट देखा ही होगा उस नोट में प्रदर्शित इमारत हम्पी के ही विट्ठल स्वामी मंदिर के परिसर में स्थित पत्थरों से निर्मित रथ है। हंपी के इस प्राचीन मंदिर पर कुछ विद्वानों ने अपनी राय दिए हैं जो निम्न है -
“ यह फूलों से अलंकृत वैभव की पराकाष्ठा का घोतक है, जहां शैली पहुंच चुकी थी । ”
- फ़ग्रर्युसन के विचार
“ यद्यपि मंडप की छत कभी पूरी नहीं बनाई जा सकी थी और इसके स्तंभों में से अनेक को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया, तो भी यह मन्दिर दक्षिण भारत का सर्वोत्कृष्ट मंदिर कहा जा सकता है। ”
- लांगहर्स्ट के अनुसार
निर्माण कर्ता - संगम वंश के देवराय द्वितीय 1422 - 1446 ईस्वी ( प्रथम निर्माण )
तलुव वंश के द्वितीय शासक कृष्णदेव राय 1506 - 1529 ईस्वी ( कुछ हिस्सों का निर्माण )
साम्राज्य - विजयनगर साम्राज्य
स्थान - हम्पी बाजार से 2 कि. मी. दुर , हम्पी , कर्नाटक
वास्तुकला - दक्षिण भारत द्रविड़ स्थापत्य शैली
शैली - विजयनगर शैली
लम्बाई - 55 फुट ( भीतरी भाग )
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