चार मीनार पर उत्तम लेख हिंदी में
चारमीनार भारत के तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में स्थित एक बहुत प्रसिद्ध इमारत या मस्जिद है 48.7 मीटर ( 159.77 फीट ) ऊंची और 20 मीटर ( लगभग 66 फीट ) लंबी यह इमारत हैदराबाद की पहचान है । ग्रेनाइट , चूना पत्थर , मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से निर्मित यह सुंदर इमारत इस प्रकार बनाई गई थी कि उस काल में इसके प्रत्येक मेहराब से हैदराबाद शहर के कोनों की झलक मिलती थी । चार मीनार के वास्तुकार मीर मोमिन अस्तराबादी जी थे उन्होंने इसका निर्माण इंडो - इस्लामिक वास्तुकला के सजिया शैली में वर्गाकार कराया और इसमें कई जगह फारसी वास्तुकला के तत्व भी दिखते है । चारों मीनारों के ऊपर नुकीले पत्ती की तरह, एक बल्बनुमा गुंबद की डिजाइन है। कुतुब शाही वंश के पांचवे शासक सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह ने इसका निर्माण मस्जिद के रूप 1591 ईस्वी में कराया था चार मीनार उर्दू भाषा का शब्द हैं, जिसका अर्थ "चार स्तंभ" होता है हर मीनार अलंकृत मीनार हैं जो भव्य मेहराबों से जुड़ी हुई हैं। माना जाता है कि मोहम्मद कुली ने इस इमारत का निर्माण एक गुप्त वादे के लिए किया । चारमीनार के विषय में एक और बात प्रचलित है कि इसके और गोला कोंडा के मध्य अनेक सुरंगें है परंतु यह सुरंग आज भी अज्ञात है। निर्माण की वजह या राज कोई भी हो पर यह आज भी हैदराबाद में शान से खड़ी एक प्रसिद्ध इमारत और पर्यटन स्थल है चारमीनार की प्रसिद्धि का एक और कारण यहां के आसपास के बाजार हैं मुसी नदी के पूर्वी तट पर स्थित चार मीनार के पश्चिम में लाद बाज़ार है जो अपने गहने, विशेष रूप से अति सुंदर चूड़ियों के लिए जाना जाता है और पास ही स्थित पथेर गट्टी बाजार मोतियों के लिए प्रसिद्ध है चार मीनार के आस पास के क्षेत्र को भी चारमीनार कहा जाता है जहां 14 हजार से भी अधिक दुकानें है जो परंपरा और आधुनिकता का मिलन है । चार मीनार भारत की एक अति प्रसिद्ध ऐतिहासिक , महत्वपूर्ण और सुंदर , शिल्प व वास्तुकला से धनी स्मारक है जो आधुनिक भारत में मध्यकालीन यादों को अपने अंदर समेटे हुए है ।
कुतुब शाही वंश के पांचवे शासक सुल्तान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह के द्वारा निर्मित इस इमारत की पहली मंजिल 400 वर्षों से एक मस्जिद के रूप में थी जो आज भी ईद-उल-अधा और ईद-उल-फितर त्यौहारों समारोह की साइट है।
इंडो - इस्लामिक वास्तुकला शैली में निर्मित चार मीनार के वास्तुकार मीर मोमिन अस्तराबादी जी थे और इसमें कई जगह फारसी वास्तुकला के तत्व दिखते है । चारों मीनारों के ऊपर नुकीले पत्ती की तरह, एक बल्बनुमा गुंबद की डिजाइन है।
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