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छत्तीसगढ़ के सबसे अच्छे पर्यटन स्थल व भूगोल Geography and Best Tourist Places of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ भारतीय प्रायद्वीप में स्थित एक अद्भुत राज्य है। जिस कारण यहां की भौगोलिक स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है व किसी राज्य को जानने के लिए वहां की जनसंख्या और अर्थव्यवस्था को जानना अति महत्वपूर्ण है छत्तीसगढ़ में बहुत से मानव कृत व प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं जो छत्तीसगढ़ को बाकी राज्यों में एक अलग पहचान देते हैं आज इस ब्लॉग ( लेख ) छत्तीसगढ़ के सबसे अच्छे पर्यटन स्थल व भूगोल Geography and Best Tourist Places of Chhattisgarh में हम छत्तीसगढ़ के भूगोल , जनसंख्या , अर्थव्यवस्था और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के बारे में जानेंगे।


छत्तीसगढ़ के सबसे अच्छे पर्यटन स्थल

छत्तीसगढ़ में कई सारे पर्यटन स्थल है यहां प्राकृतिक स्थलों की अनेक विविधता है वनों की अधिकता , विभिन्न पहाड़ियां और जल कुंड व नदियां यहां मिलकर कई मनोरम दृश्यों का निर्माण करते हैं। यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल या प्राकृतिक स्थान है जो अभी भी मनुष्यों से अछूते हैं शहरों में भी कई पार्क्स , मॉल आदि हैं जहां सुगमता से घुमा जा सकता है। आइए हम आपको छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताते हैं जो काफी बेहतरीन , अच्छे है और जहां आसानी से जाया जा सकता है

छत्तीसगढ़ का शिमला - मैनपाट


सरगुजा जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर पूर्वोत्तर में पठार स्थित है इसी पहाड़ी क्षेत्र को कहा जाता हैं छत्तीसगढ़ का शिमला अर्थात मैनपाट। मैनपाट विंध्य पर्वत माला पर स्थित है इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 3781 फीट और लम्बाई 28 किलोमीटर व चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है यहां कोई एक स्थान नहीं परंतु कई स्थान हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है तिब्बती शरणार्थी यहां निवास करते है टाइगर पॉइंट , रोपाखार जलाशय , रिसोर्ट , तिब्बत मंदिर , तिब्बत मंदिर गेट और सरभंजा जल प्रपात , मछली प्वांइट यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यहां पहुंचने के दो मार्ग हैं पहला मार्ग अम्बिकापुर - सीतापुर रोड से होकर और दुसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैंनपाट तक जाता है। यह पहाड़ी , प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर , अति सुन्दर , मनोरम और अनुपम पर्यटक स्थल है।

भारत का नियाग्रा फॉल - चित्रकूट जलप्रपात


छत्तीसगढ़ का अद्भुत सौंदर्य किसी से छुपा नहीं है यहां के घने वन , नदियां , पहाड़ , झरने और आदिवासी संस्कृति यहां की विशेष सुंदरता है। इसी में प्रसिद्ध है बस्तर का “चित्रकूट जलप्रपात” जिसे “ भारत का नियाग्रा फाॅल ” भी कहा जाता है। इंद्रावती नदी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे चौड़ा और सर्वाधिक जलमात्रा वाला जलप्रपात है। 90 फीट ऊंचा यह जलप्रपात वर्षा के दिनों में रक्त लालिमा लिए हुए और गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है। जगदलपुर से 40 कि.मी. और राजधानी रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जलप्रपात है। जलप्रपात जगदलपुर के पास होने के कारण यह प्रमुख पिकनिक स्पाट के रूप में भी प्रसिद्ध हो चुका है।

गोल्डन आइलैंड


हसदेव नदी के चारो ओर हरे भरे वन , पहाड़ियों से घिरा प्राकृतिक सौंदय से परिपूर्ण मिनीमाता बांगो बांध के जल भराओ के किनारे पर कई पर्यटन स्थल बसे हैं जिनमें से एक है कोरबा जिले के समीप स्थित शांत , मनोरम व सुंदर स्थान गोल्डन आइलैंड इसे “ छत्तीसगढ़ का मॉरीशस ” भी कहा जाता है। यह स्थान केंदई ग्राम से सात कि. मी. दक्षिण में स्थित है जहां तक सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है यहां आप नावों के द्वारा जल विहार का अद्भुत आनंद उठा सकते है यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अति सुंदर है यह एक काफी प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट व घूमने की जगह है जहां आप अपने और अपने परिवार के साथ सकते है।

छत्तीसगढ़ के कुछ प्रमुख अभ्यारण या चिड़ियाघर

इंद्रावती नेशनल पार्क - इंद्रावती नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह दुर्लभ जंगली भैंस की आखिरी आबादी में से एक है। यह छत्तीसगढ़ के उदांति - सीतानदी के साथ दो परियोजना बाघ स्थानों में से एक है राष्ट्रीय उद्यान 2799.08 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है जहां भ्रमण कर आप प्रकृति व वन्यजीवो को देख सकते हैं।


अचानकमार टाइगर रिजर्व - यह स्थान छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है यहां घूमने दूर-दूर से लोग आते हैं इस रिजर्व में आप बाघ , तेंदुआ , उड़न गिलहरी , गौर , जंगली सुअर , बायसन , चिलीदार हिरण , चार सिंग वाले मृग , लकड़बग्घा , चिंकारा , भालू , सियार सहित 50 प्रकार के स्तनधारी जीव और 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजीतियों के सुंदर पक्षी देख सकते हैं। यह रिजर्व जिला मुख्यालय मुंगेली से 45 किलोमीटर उत्तर - पश्चिम में स्थित है।


कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान - कांगेर घाटी लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है इसी में स्थित है सुंदर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान यहां सुंदर घाटिया , ऊंचे पहाड़ , विभिन्न प्रजाति के पेड़ , वन्य जीव , पक्षियों और झरने स्थित है। इस कांगेर घाटी ने वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति प्राप्त की। आप अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान कांकेर जिले से इस स्थान पर आसानी से आ सकते हैं।


कानन पेंडारी चिड़ियाघर - कानन पेंडारी जू काफी प्रसिद्ध है इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं बिलासपुर से 10 किलोमीटर दूर सकरी के समीप स्थित इस चिड़ियाघर में बहुत से जानवरों , पक्षियों व सांपों की प्रजातियां देखने को मिलती है जिनमें प्रमुख जानवर शेर , बाघ , तेंदुआ , दरियाई घोड़ा , हिरण ,  हिप्पोपोटामस , सफेद बाघ , शुतुरमुर्ग , भालू आदि हैं। यहां जाने के लिए बिलासपुर शहर से बसों वाहनों की सुविधा उपलब्ध है ।


बर्नवापारा वन्यजीव अभयारण्य - 245 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला यह वन्य अभ्यारण छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित है। यहां विभिन्न वन्य जीव और पक्षियों में बहुत से प्रकार और प्रजातियां देखने को मिलते हैं। यह अभयारण्य नवापारा रायपुर , बिलासपुर , पिथौरआ , महासमुंद , कसडोल , बालौदाबाजार आदि शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है। यदि आप एक वन्यजीव प्रेमी है तो आपको यह प्रसिद्ध अभ्यारण जरूर घूमना चाहिए।


पिकनिक स्पॉट

पंचवटी - पंचवटी एक मनोरम प्राकृतिक स्थल है यहां काफी सुंदर घाटी पहाड़ वह हरियाली है जिसे छत्तीसगढ़ के वन विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा है यहां एक ऊंचा 40 - 50 फीट ऊंचा वॉच टावर है जहां से आप घाटी के सुंदर दृश्य का लुफ्त उठा सकते हैं इस स्थान पर एक डाक बंगला भी स्थित है यह कांकेर में स्थित है और यहां सड़क मार्ग द्वारा आसानी से जाया जा सकता है।


हिल स्टेशन चिरमिरी - छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित हिल स्टेशन चिरमिरी छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। हसदेव नदी के किनारे बसा यह स्थान प्रकृति और हरियाली में धनी हैं यहां कई पेड़ व झरने स्थित है जो इस स्थान को एक मनमोहन स्वरूप प्रदान करते हैं।


देवपहरी - कोरबा से लगभग 58 किलोमीटर दूर स्थित देवपहरी भी काफी चर्चित पर्यटन स्थल है गोविंद झुंझ जलप्रपात यहां प्रसिद्ध है इसके साथ आप यहां पास में ही स्थित नकिया झरना का भी आनंद उठा सकते हैं कोरबा के प्रसिद्ध घूमने की जगह में से एक दोवपहरी है आप यहां सड़क मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं। यह बहुत प्रसिद्ध स्थल है जहां घूमने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।


मदकू द्वीप - मदकू द्वीप एक सुंदर पर्यटन स्थान होने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक स्थल भी है शिवनाथ नदी के दो धाराओं में विभक्त हो जाने के कारण इस द्वीप का निर्माण हुआ है जो प्राकृतिक रूप से काफी सुंदर व मंत्रमुग्ध कर देने वाला है यहां पर पुराने समय के कई ऐतिहासिक मंदिर व अवशेष प्राप्त हुए हैं जो इस स्थान को एक पुरातात्विक महत्व देते है। आप यहां अपने परिवार के साथ आकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के समीप स्थित है।


छत्तीसगढ़ के सुंदर जलप्रपात

तीरथगढ़ जलप्रपात - जगदलपुर से 39 किमी की दूरी पर स्थित तीरथगढ़ जलप्रपात छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार है शहर से दूर वनों से आच्छादित इस क्षेत्र का वातावरण शांत हैं इस झरने की ऊंचाई 300 फीट है। यह झरना मुनगाबहार नदी पर चन्द्राकार रूप से बनी पहाड़ी से नीचे सीढ़ी नुमा प्राकृतिक संरचनाओं पर गिरता है जो सैलानियों का मन मोह लेती है।


अमृत धारा - यह जलप्रपात हसदेव नदी पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक जलप्रपात है जो कोरिया में है यह स्थान मनेन्द्रगढ़ से 28 कि.मी. व बैकुंठपुर से 35 कि.मी. दूर स्थित है जहां आप अपने परिवार के साथ आकर इस जगह का आनन्द ले सकते है। यह जलप्रपात 90 फुट ऊंचा व 15 फुट चौड़ा है। प्रत्येक वर्ष कोरिया जिला प्रशासन द्वारा यहां अमृतधारा महोत्सव त्योहार का आयोजन किया जाता है।


चार्रे मर्रे झरना - नारायणपुर में अन्तागढ़ से 17 किमी की दूरी पर जोगीधारा नदी पर बने झरने को ही चार्रे मर्रे झरने के नाम से जाना जाता है यह 20 मीटर ऊंचा जलप्रपात काफी मनमोहक है झरने के तल पर एक जलाशय है जिसमें आप डुबकी लगा सकते हैं यह एक शांत , हरियाली से भरा और सुंदर स्थल है जहां आप अपने छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान घूम सकते है।


चित्रधारा जलप्रपात - चित्रशाला झरना बस्तर के प्रसिद्ध झरनों में से एक है इस झरने की ऊंचाई 50 फीट व अगले की ऊंचाई 100 फीट है यह काफी सुंदर पिकनिक स्पॉट भी है यह आकर्षक झरना पोटानार के गांव के पास है। गर्मियों में इस झरने का पानी सूख जाता है परंतु बरसात और ठंडी में जल के साथ यहां का दृश्य काफी सुंदर होता है।


केंदई वाटर फॉर - केंदई वाटर फॉर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एक 75 फीट ऊंचा जलप्रपात है यह कोरबा से 85 किलोमीटर दूर स्थित है यहां सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस स्थान के चारों तरफ हरियाली और हरे भरे पहाड़ है।


प्रदेश के बांध

खूंटाघाट - प्रकृति के बीच बसा खुटाघाट बांध हमेशा से ही पर्यटकों के बीच मशहूर रहा है रतनपुर ( बिलासपुर ) से महज 5 किलोमीटर दूर खरून नदी पर स्थित डैम अपनी सुंदरता से सभी को मंत्रमुग्ध कर लेती है जिस कारण यहां कई लोग पिकनिक बनाने व प्रकृति का आनंद लेने आते हैं। बिलासपुर - अंबिकापुर हाईवे से होते हुए इस स्थान पर पहुंचकर आप जंगल व पहाड़ी से घीरे इस जगह का आनंद ले सकते हैं।


गंगरेल - गंगरेल बांध जिसे रविशंकर बांध के नाम से भी जाना जाता है धमतरी का प्रसिद्ध बांध है यहां जाने के लिए धमतरी शहर से नियमित बस संचालित होती है आप यहां सड़क मार्ग द्वारा भी जा सकते है। यह एक सुंदर पिकनिक स्थल है और यह बांध महानदी पर स्थित है। इस बांध से आसपास के क्षेत्र हेतु विद्युत का उत्पादन भी होता है।


बांगो डेम - महानदी की सहायक नदी हसदेव जो लगभग 333 किलोमीटर लंबी है व कोरिया से निकलती है पर स्थित डैम मिनीमाता हसदेव बांगो डैम है जो डेम होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है इस स्थान में काफी मात्रा में जल को संचित किया गया है यहां काफी मात्रा में आमजन पिकनिक बनाने के लिए आते हैं व पर्यटन के लिए भी काफी प्रसिद्ध है यहां संचित जल , प्रकृति और हरियाली पर्यटकों का मनमोह लेती है।


खरखरा बांध - खरखारा बांध छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित है यहां आप राजनांदगांव से जा सकते हैं यह पिकनिक के लिए अच्छा स्थान है यहां स्थित जल और हरियाली इस स्थान को एक सुंदर पर्यटक स्थान बनाते हैं यह बांध मिट्टी द्वारा निर्मित है। और इस बांध की लंबाई लगभग 1128 मीटर है।


छत्तीसगढ़ के मुख्य दर्शनीय स्थल

गिरौदपुरी - महानदी और जोंक के संगम में बसा गिरौधपुरी धाम छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध व सम्मानित तीर्थ स्थलों में से एक है। गुरु घासीदास जी जो छत्तीसगढ़ के सतनामी पंथ के संस्थापक है का जन्मस्थान यही है। यहाँ साल में दो बार दिसम्बर और मार्च में मेला होता है। यहां और अनेक दर्शनीय स्थल है यहाँ एक बहुतऊँचे जैतखम्ब का निर्माण किया गया है। और प्राकृतिक सौन्दर्य छातापहाड़ आदि भी दर्शनीय स्थान है।


महामाया मंदिर रतनपुर - छत्तीसगढ़ द्वारा संरक्षित रतनपुर का महामाया मंदिर काफी विख्यात है। माना जाता हैं कि यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का निर्मित है और मंदिर के द्वारा हमें प्राचीन काल की समृद्ध कला की झलक मिलती है समीप में ही स्थित प्राचीन तालाब भी मुख्य आकर्षण का केंद्र है। साल भर यहां भक्तों का आवागमन रहता है परंतु नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन जैसे मुख्य उत्सव , विशेष पूजा अर्चना आदि किया जाता है। यह स्थान बिलासपुर - कोरबा मुख्य मार्ग पर 25 किलोमीटर पर स्थित है।


जशपुर चर्च - छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिले के मशहूर कुनकुरी में स्थित महागिरजा घर चर्च को एशिया के दूसरे सबसे बड़े गिरजाघर होने का गौरव प्राप्त है। इस चर्च का निर्माण वर्ष 1962 में शुरू हुआ और 1979 में यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया। इस चर्च में 10 हजार लोग एक साथ बैठ सकते है। यह चर्च काफी सुंदर है और आप अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान यहां आ सकते है।


बम्लेश्वरी मंदिर - यह राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह 1,600 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है यहां स्थित रोपवे पर्यटकों के लिए आकर्षक है और छत्तीसगढ़ में एकमात्र यात्री रोपेवे है पहाड़ चढ़ने के लिए सीढ़ियां भी है और आप रोपवे का उपयोग भी कर सकते है।


अन्य पर्यटन स्थल

रायपुर - रायपुर शहर छत्तीसगढ़ की राजधानी होने के साथ-साथ एक ऐसा स्थान भी है जहां आप विभिन्न स्थानों में जा सकते है। यहां कई मॉल्स , पार्क और दुकाने हैं जहां आप जा सकते हैं यहां कई और भी घूमने के स्थान है जैसे एम एम फन सिटी वाटर एम्यूजमेंट पार्क , नंदनवन जंगल सफारी नया रायपुर आदि स्थान है जहां आप अपने और अपने परिवार के साथ जाकर इस स्थान का लुफ्त उठा सकते हैं।


सतरेंगा कोरबा - बांगो डैम के जल के किनारे बसा प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में से एक सतरेंगा भी है जो काफी प्रसिद्ध क्षेत्र है व इसे हाल ही में बहुत विकसित किया गया। आप यहां वॉटर स्पोर्ट्स के साथ फ्लोटिंग रेस्टोरेंटरूकने के लिए गेस्ट हाउस का भी लुफ्त उठा सकते हैं सतरेंगा सड़क मार्ग के द्वारा आया जा सकता हैं व यहां जल में आती लहरें आपको समुद्र के किनारे होने का एहसास देती हैं। यह छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित है।


मैत्रीबाग भिलाई - मैत्रीबाग भिलाई जिला दुर्ग में स्थित प्रसिद्ध चिड़ियाघर है यहां विभिन्न जानवर , सुंदर बाग पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है म्‍यूजिकल फाउटेंन जो संगीत की धुन के साथ प्रतिक्रिया के रूप में जल का ऐसा गतिशील दृश्य उपस्थित करता है जो काफी बेहतरीन और अच्छा होता है। आप यहां सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से आ सकते है।


गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान - यह राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर जिला कोरिया में स्थित है अपनी जैविक विविधता के लिए प्रख्यात इस उद्यान से 3 नदियां अरपा , गोपाद एवं हसदेव बहती है। पूर्व में यह उद्यान संजय राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का भाग था। इस उद्यान के क्षेत्र में विभिन्न वृक्षों की प्रजातियां , जंगली जानवर एवं पक्षियां है उघान में कई ग्राम और कई जलग्रहण क्षेत्र भी है यह उघान वनों से आच्छादित , नदियों से शोभित और वन्य पशुओं द्वारा अति मनोरम है।


ऐतिहासिक पर्यटन स्थल

कैलाश गुफा - कैलाश गुफा छत्तीसगढ़ की एक ऐतिहासिक गुफा है यह जशपुर जिला से 27 किलोमीटर दूर स्थित है यह गुफा जंगलों के बीच में स्थित है जिस कारण यहां काफी हरियाली होती है गुफा के पास ही मीठे पानी की जलधारा भी है जिससे पर्यटक अपनी प्यास भी बुझा सकते है।


मल्हार - मल्हार छत्तीसगढ़ के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है यहां से प्राचीन और पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह स्थान बिलासपुर से शिवरीनारायण मार्ग पर मस्तूरी से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।


सिरपुर - महासमुंद के अंतर्गत सिरपुर अपनी पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। महानदी के किनारे बसा सिरपुर पांचवी से आठवीं शताब्दी के बीच दक्षिण कोसल ( छत्तीसगढ़ का पुराना नाम ) की राजधानी थी।


आरंग - आरंग जिसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है छत्तीसगढ़ का एक ऐतिहासिक स्थल है यहां कई पुरानी इमारते , पुरातात्विक मूर्तियां व मंदिर स्थित है यह स्थान छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के अंतर्गत आता है।


कोटुमसर गुफा - यह गुफा छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के समीप स्थित है विभिन्न प्रकार के सुंदर पत्थर इस गुफा की शोभा को बढ़ाते है। इस गुफा की लंबाई लगभग 200 मीटर है यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है।


पुरखौती मुक्तांगन - पुरखौती मुक्तांगन छत्तीसगढ़ की महान कला और संस्कृति , लोक विविधता को दर्शाता है एक स्थान है इसका उद्घाटन हमारे पूर्व राष्ट्रपति माननीय एपीजे अब्दुल कलाम जी द्वारा नवंबर 2006 में किया गया था। यहां के शिल्प छत्तीसगढ़ के लोक नृत्य , लोकगीत को जीवंत स्वरूप देते हैं यहां छत्तीसगढ़ की विभिन्न स्थान मंदिर नृत्य व जीवन शैली की झलक प्रस्तुत की गई है। आपको अपने छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान यहां जरूर आना चाहिए।


यदि आप छत्तीसगढ़ में है या यहां के रहवासी हैं तो आप छत्तीसगढ़ के समीप स्थित अमरकंटक पर्यटन स्थल में भी जा सकते हैं

कैसे पहुंचें या आवागमन

छत्तीसगढ़ भारत का एक प्रमुख राज्य है इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।


रेलमार्ग :- छत्तीसगढ़ रेल मार्ग द्वारा भारत के अन्य राज्यों से जुड़ा हुआ है कई प्रमुख रेल मार्ग छत्तीसगढ़ से ही होकर गुजरते हैं छत्तीसगढ़ से व छत्तीसगढ़ के लिए भी कई ट्रेनें संचालित की जाती है। दक्षिण - पूर्वी मध्य रेल्वे के अंतर्गत मुंबई , नागपुर एवं कलकत्ता मार्ग पर रायपुर एक प्रमुख रेल्वे जंक्शन हैं।

सड़क मार्ग :- सड़क मार्ग द्वारा छत्तीसगढ़ पहुंचना काफी आसान है यह अपने पड़ोसी राज्यों द्वारा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है और यहां से कई राष्ट्रीय व राजकीय राजमार्ग भी गुजरते हैं। रायपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ०६ पर स्थित हैं एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ४३ रायपुर को विजयनगरम् से जोड़ता है |

वायु मार्ग :- छत्तीसगढ़ का मुख्य एयरपोर्ट स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर है यहां से भारत के अन्य प्रमुख नगरों व महानगरों से नियमित फ्लाइट्स सेवा उपलब्ध है। व साथ ही कुछ ही समय पहले बिलासपुर के चकरभाटा में भारत के अन्य शहरों से विमानों की सुविधा की शुरुआत की गई है।

अत: तीनों मार्ग सड़क मार्ग , वायु मार्ग व रेल मार्ग द्वारा सुगमता से छत्तीसगढ़ पहुंचा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ का भूगोल

छत्तीसगढ़ भौगोलिक रूप से भारत के लिए अति महत्वपूर्ण है छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल लगभग 1,35,196 वर्ग कि.मी. है यह भारत के कुल क्षेत्रफल का 4.11 प्रतिशत है छत्तीसगढ़ की उत्तर से दक्षिण की लंबाई 700 किलोमीटर है और पूर्व से पश्चिम की लंबाई 435 किलोमीटर है। यह राज्य 17'-46‘अक्षांश से 24‘-5‘ उत्तरी अक्षांश तथा 80'-15' पूर्वी देशांतर से 84'-24' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है इस राज्य की सीमा विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश , झारखंड , उड़ीसा आदि राज्यों को छूती है छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी और उत्तरीय के कुछ भाग पर्वतीय है राज्य के क्षेत्रफल का 44% भाग वनों से आच्छादित है जिस कारण यहां कई पर्यटन स्थल हैं।

छत्तीसगढ़ ऊंची - नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है यहां मिश्रित वन की अधिकता है और प्रदेश के प्रमुख वृक्ष सागौन , साजा , साल और बीजा , बांस के वृक्ष हैं। कुछ उन्नत किस्म की सागौन भी छत्तीसगढ़ के वनों में पाई जाती है छत्तीसगढ़ में प्रमुख चार अपवाह तंत्र गोदावरी , गंगा , महानदी और नर्मदा है जिसमें प्रमुख महानदी है इसे छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा भी कहा जाता है जिसके अंतर्गत महानदी , अरपा , हसदो , पैरी , शिवनाथ , इंद्रावती , सोंढूर , मांड , लीलागर और सबरी आदि नदियां आती हैं। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियाँ एक विशालउपजाऊ मैदान का निर्माण करती हैं जिसकी चौड़ाई व लम्बाई लगभग 80 कि॰मी॰ और 322 कि॰मी॰ है यह मैदान समुद्र तल से 300 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। मैदानी क्षेत्र के उत्तर में मैकल पर्वत शृंखला है और सरगुजा की उच्चतम भूमि ईशान कोण में है पूर्व में उड़ीसा की छोटी-बड़ी पहाड़ियाँ , आग्नेय में सिहावा के पर्वत शृंग और दक्षिण में बस्तर भी गिरि-मालाओं से भरा हुआ है। मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र , उत्तर में सतपुड़ा और दक्षिण में बस्तर का पठार में छत्तीसगढ़ के तीन प्राकृतिक खण्ड हैं मैदानी उपजाऊ क्षेत्रों के कारण यहां धान व अन्य अनाजों की पैदावार अधिक होती है जिस कारण प्रदेश को धान का कटोरा भी कहा जाता है।

जनसंख्या

छत्तीसगढ़ की प्रमुख भाषा हिंदीछत्तीसगढ़ी है यहां विभिन्न जातियों , धर्मों और समुदाय के लोग एक साथ निवास करते है। छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति भी अति उत्तम है। भारतवर्ष में बनाए जाने वाले सभी प्रमुख त्यौहार छत्तीसगढ़ में भी मनाया जाते हैं और यहां शहरों और मुख्यता ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित पारंपरिक त्योहार छेरछेरा , हरेली , संकट व पोरा आदि हैं।

अर्थव्यवस्था

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था प्रमुख रूप से कृषि और उद्योग (उर्जा एवं इस्पात) पर आधारित है। बीते कुछ समय से छत्तीसगढ़ का आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदला है गांवों , शहरो और मुख्य नगरों को सड़कों से जोड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ भारत के सबसे तेज विकसित होने वाले राज्यों में से एक है और छत्तीसगढ़ भारत के प्रमुख खनिज समृद्ध राज्यों में से भी एक है। यहाँ पर चूना- पत्थर , तांबा , लौह अयस्क ,  फ़ॉस्फेट , मैंगनीज़ , अभ्रक , कोयला , बॉक्साइट और एसबेस्टॅस के उल्लेखनीय भंडार हैं। छत्तीसगढ़ देश का जीरो पॉवर कट (Zero Power Cut) राज्य है और उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है यहां कई बड़े-बड़े ताप विद्युत गृह भी स्थित हैं और ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकता व खपत को देखते हुए ऊर्जा के नवीन स्त्रोतों के उपयोग कार्य के लिए भी कदम उठाए जा रहा है।


छत्तीसगढ़ में पूरे देश का 24 प्रतिशत अर्थात 52.5 करोड़ टन डोलोमाइट का भंडार है। और यहां बॉक्साइट का अनुमानित 7.3 करोड़ टन का भंडार है एवं टिन अयस्क का 2,700 करोड़ से भी अधिक का उल्लेखनीय भंडार भी है। छत्तीसगढ़ राज्य में कोयले के भी कई बड़े-बड़े भंडार हैं जिस कारण यहां खदानविभिन्न उद्योगों की अधिकता है। छत्तीसगढ़ अपनी आवश्यकता से अधिक विद्युत का उत्पादन करता है इसलिए यहां से भारत के अन्य राज्यों में भी विद्युत का प्रदान किया जाता है।

छत्तीसगढ़ भारत का एक औघोगिक और विकासशील राज्य है जिस कारण यहां बहुत से औघोगिक केन्द्रो और शहरों का भी विकास और निर्माण हुआ है शहरों में परिवेश आधुनिक है। रायपुर , बिलासपुर , दुर्ग , भिलाई राज्य के मुख्य नगर है और कई अन्य नगर भी विकासशील है। सीधे नहरों के द्वारा सिंचाई का कार्य किया जाता है खेती के कार्य भी प्रमुखता से किए जाते हैं छत्तीसगढ़ में कई ऐसे भी स्थान है जहां अभी भी सड़कों की असुविधा है। यहां कई राजकीय व राष्ट्रीय राजमार्ग भी है जिनमें से एक राष्ट्रीय राजमार्ग 49 भी है यह राजमार्ग या हाईवे छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से पश्चिम बंगाल में कोलकाता तक जाती है। मध्य में इसका मार्ग ओड़िशा और झारखंड राज्यों से भी गुज़रता है इसकी लंबाई कुल 817 कि॰मी॰ हैं। इस प्रकार छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से आगे बढ़ रही है।






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भारत 🇮🇳🇮🇳

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छत्तीसगढ़ की महान कला एवं संस्कृति कला , संस्कृति की वाहिका है जिस प्रकार भारत की कला में भिन्नता है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति भी बहुआयामी है वनों से आच्छादित व आदिवासी अधिकता के कारण यहां की कला में वनों , प्रकृति , प्राचीन और परम्परा का विशेष स्थान व महत्व है। छत्तीसगढ़ की कला में हमें विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य , जातियां , लोक कला , मेले , विभिन्न भाषा , शिल्प और विशेष व्यंजन देखने को मिलते हैं। प्रदेश में यहां के आभूषणों , वस्त्रों का विशेष स्थान है जो यहां की संस्कृति को और प्रभावशाली व समृद्ध बनाती हैं सरल जीवन जीते हुए यहां के लोग अपनी परम्परा , रीति रिवाज और मान्यताओं का पालन करते है। समय-समय पर ऋतुओं , तिथि और त्योहार अनुसार विभिन्न उत्सवों और संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है प्रत्येक गांव, जिले, क्षेत्र की अपनी अलग मान्यताएं, पहचान व धार्मिक महत्व हैं। माना जाता है कि कला का प्राण है रसात्मकता। रस अथवा आनन्द अथवा आस्वाद्य। कला के द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संस्कृति व परम्पराओं का प्रदान होता है छत्तीसगढ़ की कला जहाँ एक ओर त

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छत्तीसगढ़ एक अलग राज्य होने के साथ-साथ इसकी एक अलग फिल्म इंडस्ट्री भी है। जो दिन-प्रतिदिन सफलता के नए आयामों को छू रही है। कोई भी इंडस्ट्री गानों के बिना अधूरी है छत्तीसगढ़ भी इसमें पीछे नहीं है छत्तीसगढ़ ने ऐसे कई गाने दिए हैं जो किसी भी बड़े इंडस्ट्री के गानों को भी टक्कर दे सकती हैं। दिन प्रतिदिन छत्तीसगढ़ी गाने प्रसिद्ध होते जा रहे है और लोग इन्हें सुनना पसंद करते हैं चाहे वह लव सोंग्स हो या डीजे संगीत या कोई और छत्तीसगढ़ी गाने समा बांध देते है। इस लेख में हम छत्तीसगढ़ के Top Ten CG Song के बारे में जानेंगे। 1 . मोला नीक लागे रानी ( 115 M. ) छत्तीसगढ़ का पहला गीत जिसे यूट्यूब पर 100 मिलियन से भी अधिक बार देखा गया “मोला निक लागे रानी” छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध सॉन्ग है आते ही इसने सभी के दिलो में अपनी खास जगह बना ली। Song : Mola Nik Lage Rani YouTube View : 115 M. + Channel : SB MUSIC KORBA Likes : 1.3 Lakh + Singer : Ashok Rajwade , Suman Kurrey 2 . छम छम बाजे पांव के पैरी ( 7 3 M . ) छत्तीसगढ़ी फिल्म आई लव यू का सुपर हिट सॉन्ग “छम छम बाजे पांव

छत्तीसगढ़ के त्यौहार , उत्सव , मेले व स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन Art and Culture of Chhattisgarh Part : 2 भाग - दो

विश्व प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ की लोक कला एवं संस्कृति छत्तीसगढ़ के आम जनजीवन का एक अभिन्न अंग है यह लेख “ छत्तीसगढ़ के त्यौहार , उत्सव , मेले व स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन Art and Culture of Chhattisgarh Part : 2 भाग - दो ” छत्तीसगढ़ के कला संस्कृति के वर्णन का भाग 2 है आप छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति पर क्लिक कर कर इसके लेख भाग 1 को पढ़ सकते हैं। इस लेख में छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम से मनाए जाने वाले विभिन्न उत्सवों , प्रमुख मेलों व आयोजनों और स्वादिष्ट पकवानों के बारे में जानकारी दी गई है। छत्तीसगढ़ के उत्सव भारत विभिन्न त्योहारों का देश है जहां अलग-अलग समय और ऋतुओं के अनुसार विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं इसके पीछे कई प्रमुख कारण है जिस प्रकार भारत में त्योहारों की विविधता है उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी विभिन्न त्योहार मनाये जाते हैं। छेरछेरा - छेरछेरा छत्तीसगढ़ के सबसे प्रमुख त्योंहारों में से एक है जो किसानी काम खत्म होने के बाद फसलों को अपने-अपने घर लाये जाने का प्रतीक है यह त्योहार पोष मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है तथा इस त्योहार का अन्य नाम पूष पुन