लोकमत की कड़ियों के बंधनो को
क्षीण कर मैं पंख तैयार कर
सफलता रूपी इन बादलों को
पाकर मैं यूं ना हारकर
तोडुंगा मैं उन कड़ियों को
जिसने रोका मुझे उड़ान से
अपनी बातों अपने प्रभाव
अपनी रूढ़िवादी विचार से
रह गया हूं मैं अकेला
अपने उस निराश विरह में
क्योंकि किसी ने कुछ बोला था
पुरानी रीति के समक्ष में
मार्ग मेरा था प्रशस्त प्रख्यात
पर समय था कुछ अधिक
उस समय की विद्यमानता में
मार्ग क्षीण करने की कोशिश।
यह मार्ग अर्थहीन है
सूखे वृक्ष सम क्षीण है
ना करो तो ही सही है
कर कर भी सब विहीन है
विचार जो थे उनके द्वारा
पल पल मुझपर थोपते थे
ना चाहु लेना उन्हें मैं
पर फिर भी मन में मचलते थे ।
मुख द्वार से निकले उनके
जो कटु शब्द जाल
भेद दिया उन्होंने मुझे
छोड़ना पड़ा अपना प्रख्यात मार्ग
पर अब किसी नवयुवक को
मैं नहीं रूकने दूंगा
कड़ी रूपी उन जालों में
ना अकेला अस्थिर झुकने दुंगा
मार्ग के पग पग को
जीणोद्धार सबल सरल करू
नए लोकमत के कार्यो में
नव धारा को प्रबल करू
बंधन तोड़ इस पुर जीवन का
आगे बढ़ कर योगदान दे दु
इन लोकमत की पुर बेड़ियों को
वृहद विचार कर , मैं भेद दु
जीत हार कर मैं भेद दु
मैं भेद दु
मैं भेद दु ।
प्रसंग - प्रस्तुत पघांश में कवि अपने स्थिति और लक्ष्य का वर्णन कर रहा है वह अपने साथ हुई घटना का वर्णन करता है व वह इसे बाद में रोकने का प्रयास करने की बात भी करता है ।
अर्थ -
लोकमत की .................... विचार से
लोकमत की कड़ियों अर्थात लोक और समाज की इच्छा के द्वारा जो बंधन बने हुए हैं अर्थात वह चाहते हैं कि सभी लोग वही करें जो वह चाहे इन सारी बातों अर्थात समाज के बंधनों को खत्म कर मैं अपने पंख तैयार करूंगा और सफलता रूपी बादल अर्थात सफलता को मैं पाऊंगा और हार नहीं मानूंगा मैं उन बंधनों को तोडूंगा जिन्होंने मुझे अपने सफलता को पाने से रोका है उन्होंने मुझे अपने बातों और अपने प्रभाव और आपने रूढ़ीवादी या पुरानी सोचो के द्वारा रोका है ।
रह गया हूं .................... की कोशिश
आप मैं अकेला रह गया हूं अपने निराश जीवन में इसका कारण यह है कि बहुतों ने मुझे पुरानी कुरीतियों और विचारों के संदर्भ में कुछ बोला था अर्थात पुराने समय को उदाहरण देकर मुझे समझाते थे कि मैं अपने नए मार्ग को छोड़ दो मेरा मार्ग सीधा और बहुत अच्छा था पर उस मार्ग से सफलता को प्राप्त करने में थोड़ा समय लग रहा था जब वह समय विद्यमान था अर्थात वह समय चल रहा था उस समय मेरे मार्ग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी ।
यह मार्ग .................... मचलते थे
मुझे रोकने के लिए उन्होंने मुझे यह सब कहा था कि इस मार्क का कोई मतलब नहीं है या एक सूखे वृक्ष या पेड़ के समान ही सूखा हुआ है अगर मैं इस कार्य को नहीं करूंगा तू ही सही रहेगा और अगर मैं इस कार्य को करके सफल हो जाऊं तो भी इसका कोई मतलब नहीं है या उनके विचार थे जो वह मुझे कहते थे मैं उनके विचारों को नहीं लेना चाहता था पर फिर भी वह मेरे मन में आते थे और मचलते थे ।
मुख द्वार .................... झुकने दुंगा
मुख्य द्वार से उनके कटु शब्द निकले अर्थात उन्होंने कई कड़वी बातें कहीं जो एक जाल के समान है जिसमें लोग फंस जाते हैं और इसी जाल में मैं भी फंसा अर्थात तीर के समान उन्होंने मुझे घायल किया जिस कारण मुझे अपना प्रसिद्ध और अच्छा मार्ग छोड़ना पड़ा पर अब मैं नहीं चाहता कि कोई भी नया व्यक्ति जो किसी नए मार्ग पर चलता है वह रुके और मैं भी उसकी मदद और कोशिश करूंगा कि वह चलते रहे और जब लोग बंधनों के जैसे जालो को उस पर फेंकेंगे तो मैं उसके साथ रहूंगा उसे अस्थिर रहकर झुकने और फंसने नहीं दूंगा उसकी सहायता करूंगा ।
मार्ग के .................... मैं भेद दु ।
मैं अब नए अच्छे कार्यों और विचारों के मार्ग के कदम कदम को अच्छा सरल कर रहा हूं और नए सामाजिक और समाज को अच्छा करने वाले कार्यो को कर रहा हूं नए विचारों और कार्यों को मजबूती भी प्रदान करता हूं और आगे बढ़कर इन में योगदान भी दे रहा हूं यह जो पुरानी सोच और समाज की इच्छा है यही पुरानी बंधन और बेड़ियों को मैं तोड़ रहा हूं अपने नए और बड़े विचारों के द्वारा मैं इसे तोड़ रहा हूं मैं जीत रहा हूं और कभी कभी हार भी रहा हूं पर फिर भी मै इसे तोड़ रहा हूं मैं इसे तोड़ दूंगा और मै इसे छोड़ रहा हूं ।
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